Tuesday 21 July, 2009

अमित बाबू, अच्छा है जो भारत में पैदा हुए


पिछले दिनों एक खबर मीडिया में छाई रही। खबर थी कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की ईश्वर से बात हुई है- वह भी ई-मेल से। यह इसी देश की जनता है जो कोई तर्क नहीं करती और मान लेती है कि बिग बी बड़े अच्छे आदमी है- ऊंचे संपर्क वाले हैं सो हो सकता है कि बात हुई हो। लोगों ने बड़ी गंभीरता से उन सवालों को भी पढ़ा जो बिग बी ने (कथित रूप से) भगवान से पूछे और जो जवाब भगवान ने उन्हें भेजा है।

अमित बाबू से बस यही कहना है कि अच्छा है जो वे भारत में पैदा हुए कि लोग यहां आंख बंद कर कुछ भी मान लेते हैं। तभी तो अपने महानायक की अनर्गल बातों को भी स्वीकार कर लेते हैं।अमिताभ ने बड़े साहित्यिक लहजे में अपने ब्लाग पर कहा है कि किस तरह से उनके सवालों का जवाब ई-मेल पर देते हुए ईश्वर ने उनसे कहा है कि किसी भी बंदे की कोई भी प्रार्थना बेकार नहीं जाती- ईश्वर उसे जरूर सुनते हैं। आगे वे लिखते हैं कि भगवान ने उन्हें समझाया कि इंसान को तनाव भरे दौर से गुजरना ही पड़ता है और कोई भी इन चुनौतियों से लड़े बिना जीवन की सुंदरता को नहीं पा सकता। अगर कोई व्यक्ति जीवन में संघर्ष नहीं करता तो वह सुंदरतम नहीं पा सकता। जीवन के सुंदरतम को पाने के लिए संघर्ष जरूरी है।

अच्छी बात है, पर तर्क से परे। न कोई पूछने वाला है, न सवाल करने वाला- इस देश को बिना तर्क लोगों को माथे पर बिठा लेने की आदत हो चुकी है। अपनी सोच को कहीं किनारे गिरवी रख अंधों की तरह किसी की भी पूजा शुरू कर देते हैं।क्या कोई अमिताभ से पूछेगा कि अगर उनकी ईश्वर से बात हुई तो उन्होंने राज ठाकरे और बाल ठाकरे की शिकायत क्यों नहीं की? उन्होंने ईश्वर को क्यों नहीं बताया कि ये लोग मुंबई में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को मारते-पीटते-गाली देते हैं? क्या उन्होंने इस बात के लिए ईश्वर से माफी मांगी कि बाल ठाकरे के गुंडों की मुंबई में ताकत की वजह से उन्हें ठाकरे को पितातुल्य कहना पड़ा था? ईश्वर तो उनके पिता (स्व। हरिवंश राय बच्चन) को भी जानते होंगे और बाल ठाकरे को भी? क्या उनके इस कृत्य के लिए ई-मेल कर भगवान ने उन्हें डांटा नहीं?

अमित बाबू से अनुरोध है कि वे इन सवालों का जवाब भले ही न दें पर इस देश और समाज की भलाई के खातिर ईश्वर का ई-मेल आईडी सार्वजनिक कर दें। अब जिसे भी कोई शिकायत होगी सीधे भगवान को मेल ठोक देगा। कोई घूस मांगेगा- कोई अधिकारी परेशान करेगा या कोई किसी का हक छीनेगा- अब तो सीधे भगवान को ई-मेल किया जाएगा। पूरे संसार में अब सिर्फ धर्म का राज होगा और किसी के साथ कोई अन्याय नहीं होगा। सदी के इस महानायक से यह उम्मीद तो की जाती है कि वह अपने चाहने वालों को भगवान का ई-मेल आईडी तो दे ही देंगे।

Wednesday 8 July, 2009

माइकल से सीखिए मैनेजमेंट

इस दुनिया से माइकल जैक्सन अलविदा हो गए। लास एंजिल्स के स्टेपल्स सेंटर में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मैं न तो माइकल के बड़े दीवानों में से हूं और न ही पश्चिम के संगीत का सुरूर मेरे सिर चढ़कर बोलता है। इन सभी दूरियों के बाद भी मैं माइकल की शख्सियत से कुछ सीखने की इच्छा रखता हूं। माइकल के व्यक्तित्व की जो सबसे अच्छी चीज है, वह चाहता हूं। यह चीज माइकल का गीत या संगीत नहीं बल्कि उनका शानदार मैनेजमेंट है।

इधर कुछ दिनों से माइकल जैक्सन के बारे में काफी कुछ पढ़ा-देखा और जाना भी। माइकल के कठिन बचपन के बारे में और उनसे जुड़े तमाम विवादों के बारे में भी। उनकी शादियों-तलाकों के किस्से हों या फिर बच्चों के यौन शोषण के आरोपों को लेकर उनका चर्चा में बने रहना- सब बातों और विषयों पर मीडिया में खूब छपा। तमाम नकारात्मक चर्चाओं के बाद भी माइकल का जादू कम नहीं हुआ। दुनिया भर में उनके चाहने वाले कम नहीं हुए।

आप माइकल जैक्सन के प्रशंसक हों या न हों... कोई बात नहीं, पर जरा माइकल को स्टेज पर थिरकते देखिए। देखिए कि वह इंसान स्टेज पर सिर्फ और सिर्फ गीत-संगीत को ही जीता था। उनके शरीर का कोई भी हिस्सा इसके इतर कुछ भी नहीं कहता था। एक-एक अंग की केमेस्ट्री सिर्फ और सिर्फ उनकी कला से ही जुड़ी थी।
इसे कहते हैं वो बात जो किसी भी इंसान को खास बना देती है- माइकल जैक्सन बना देती है। आप जहां भी हों- जो भी कर रहे हों उसमें पूरी तन्मयता जरूरी है। खुद को पूरी तरह से झोंक देना जरूरी है। काश... हम माइकल का यह मैनेजमेंट सीख पाते।

अलविदा माइकल... अलविदा।