Wednesday 8 July, 2009

माइकल से सीखिए मैनेजमेंट

इस दुनिया से माइकल जैक्सन अलविदा हो गए। लास एंजिल्स के स्टेपल्स सेंटर में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मैं न तो माइकल के बड़े दीवानों में से हूं और न ही पश्चिम के संगीत का सुरूर मेरे सिर चढ़कर बोलता है। इन सभी दूरियों के बाद भी मैं माइकल की शख्सियत से कुछ सीखने की इच्छा रखता हूं। माइकल के व्यक्तित्व की जो सबसे अच्छी चीज है, वह चाहता हूं। यह चीज माइकल का गीत या संगीत नहीं बल्कि उनका शानदार मैनेजमेंट है।

इधर कुछ दिनों से माइकल जैक्सन के बारे में काफी कुछ पढ़ा-देखा और जाना भी। माइकल के कठिन बचपन के बारे में और उनसे जुड़े तमाम विवादों के बारे में भी। उनकी शादियों-तलाकों के किस्से हों या फिर बच्चों के यौन शोषण के आरोपों को लेकर उनका चर्चा में बने रहना- सब बातों और विषयों पर मीडिया में खूब छपा। तमाम नकारात्मक चर्चाओं के बाद भी माइकल का जादू कम नहीं हुआ। दुनिया भर में उनके चाहने वाले कम नहीं हुए।

आप माइकल जैक्सन के प्रशंसक हों या न हों... कोई बात नहीं, पर जरा माइकल को स्टेज पर थिरकते देखिए। देखिए कि वह इंसान स्टेज पर सिर्फ और सिर्फ गीत-संगीत को ही जीता था। उनके शरीर का कोई भी हिस्सा इसके इतर कुछ भी नहीं कहता था। एक-एक अंग की केमेस्ट्री सिर्फ और सिर्फ उनकी कला से ही जुड़ी थी।
इसे कहते हैं वो बात जो किसी भी इंसान को खास बना देती है- माइकल जैक्सन बना देती है। आप जहां भी हों- जो भी कर रहे हों उसमें पूरी तन्मयता जरूरी है। खुद को पूरी तरह से झोंक देना जरूरी है। काश... हम माइकल का यह मैनेजमेंट सीख पाते।

अलविदा माइकल... अलविदा।

1 comment:

Udan Tashtari said...

मैनेजमेंट तो नहीं..वो तो उसमें बहुत कमजोर था वरना इतने डेब्ट में किराये के मकान भले ही विला हो..न जीने को अभिशप्त होता.


हाँ कला के प्रति उसका समर्पण और एकाग्रता सीखने योग्य है.

श्रृद्धांजलि!!