राहुल का पंजाब दौरा उनके सियासी समझ की शार्पनेस दिखाता है। भारतीय राजनीति में गांधी परिवार की आलोचना करने और राहुल को बच्चा बताकर खारिज करने वालों को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। इस चुनाव में राहुल ने जिस अंदाज और जिस तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज की है उससे यह तो तय है कि अगला चुनाव राहुल के नाम पर ही होगा। राजनीति की डगर पर उनके कदम का अंदाज इस बात को मजबूती प्रदान करता है।
पंजाब में राहुल ने सिख प्रधानमंत्री के नाम पर खूब राजनीति की। पंजाबियों को इसी मुद्दे पर अपने साथ लाने की कोशिश की। उन्होंने मनमोहन सिंह को शेर-ए-पंजाब बताया और कहा कि यह एक सिख नेतृत्व की बात है। जनता इस बात पर उनका साथ दे कि दो प्रतिशत आबादी का नेतृत्व कर रहे एक सिख को उन्होंने अपना नेता माना है- देश का नेता माना है। यह सिखों के जज्बे की बात है। मनमोहन को कमजोर बताने वाले आडवाणी पर भी उन्होंने खूब हमले किए। कहा, ये मजबूत लोग कहां थे जब संसद पर हमला हुआ? ये मजबूत लोग कहां थे जब कंधार में आतंकियों को छोड़ा जा रहा था। इसके बाद फिर वे मनमोहन और सिख की बात करने लगे। कहा, मैं पूरे देश में घूमा हूं। मुझे कहीं भी कोई कमजोर सिख नजर नहीं आया। मनमोहन के दहाड़ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसी के आगे मुंबई हमले के बाद पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े और सहयोग करना पड़ा। इतना ही नहीं, सिख कौम की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि देश पर जब भी संकट आया है इस कौम ने कुर्बानी देकर देश को बचाया है। ...देखिए राहुल का सियासी सयानापन।
जब राहुल लुधियाना पहुंचे तो उन्हें पंजाब के अलावा बिहार और उत्तर प्रदेश वासियों की भी याद आ गई। ध्यान दें कि लुधियाना में इन दोनों प्रांतों के लोगों के करीब पौने दो लाख वोट हैं। यहां राहुल ने कहा, कांग्रेस के खिलाफ प्रचार में जुटी एनडीए की सहयोगी पार्टियां महाराष्ट्र में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों पर अत्याचार कर रही है। इस तरह के तत्वों को जवाब दिया जाना जरूरी है। तो देखा आपने... राहुल के अंदाज को?
इतना तो स्पष्ट है कि राहुल इस देश में सत्ता पर कब्जा करने के फंडों की खूब समझ रखते हैं। तभी तो उन्हें सिखों से लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश तक की याद चुनावी मंच से आ रही है। अब उन्हें बच्चा बताकर खारिज करने का वक्त इतिहास की बात हो गई।
(फोटोः पीटीआई से साभार)
2 comments:
Rahul Gandhi jaise bhi hain umradaraz luchche netaon ki fauz se behatar hain. Leaders ki is nai generation se kuch ummeed to hai
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