िपछले िदनों मैंने एक िफल्म देखी- वेडनसडे। यह एक बेहतरीन िफल्म है। िफल्म आतंकवाद के िखलाफ अकेले इंसान की जंग है। िदखाया गया है िक जब एक आम आदमी जागता है तो क्या होता है। सरकार लाचार हो सकती है- उसके राजनीितक स्वाथॆ हो सकते हैं... पर आम आदमी तो इन चीजों से ऊपर होता है। हां, आम आदमी के िवद्रोह के तरीके पर सवाल हो सकते हैं, पर उसके उद्देश्य को तो देखना ही होगा। राहुल ने जो भी िकया वह राज ठाकरे जैसे लोगों की करतूतों का नतीजा ही तो है। एेसे िवद्रोह को कब तक रोकेंगे? इतना तो तय है िक पुिलिसया गोली से तो इसे नहीं रोका जा सकता। राहुल की मौत से बात खत्म नहीं हो गई।
बेशमीॆ की हद देिखए। िडप्टी सीएम आरआर पािटल बड़े उत्सािहत होकर िवजयी मुद्रा में कह रहे थे िक पुिलस ने िबल्कुल सही िकया है। गोली का जवाब गोली से ही िदया जाएगा। कानून व्यवस्था को हाथ में लेने की इजाजत िकसी को नहीं है। पािटल साहब उसी प्रदेश के िजम्मेदार राजनेता हैं जहां राज ठाकरे और बाल ठाकरे जैसे लोग खुलेआम गुंडई करते हैं। पूरे प्रदेश में खुलकर कानून व्यवस्था की धिज्जयां उड़ाते हैं। तब कहां जाती है इनकी िजम्मेदारी? िकस िबल में िछपकर बैठे रहते हैं ये खाल ओढ़े शेर?
बात यहीं खत्म नहीं हुई। देश में धमाकों की आतंकी करॆवाई के वक्त रंग-िबरंगे शूट बदलने वाले होम िमिनस्टर िशवराज पािटल भी िबल से बाहर िनकल आए। अपनी माटी के प्रित उनका भी जमीर जाग गया। कहा, मुंबई पुिलस और प्रदेश सरकार ने बड़ा बेहतरीन काम िकया है। ये वही पािटल साहब हैं जो आतंकी कारॆवाईयों के बाद मीिडया से मुंह िछपाते रहते हैं।
... लेिकन एेसे लोगों की जमात बड़ी लंबी है। घिटया और संकीणॆ सोच की राजनीित की कोख से पैदा हुए बाल ठाकरे ने तो राहुल को मािफया तक कह डाला। िशवसेना ने अपने अखबार सामना में िलखा है िक मुंबई के बहादुर पुिलसवालों ने िबहारी मािफया दहशतगदीॆ को िबहारी स्टाइल में ही समाप्त कर िदया। िबहार और िबहािरयों के संदभॆ में अपमानजनक और फूहड़ िटप्पणी करने वालों को यह तो मानना ही पड़ेगा िक अपनी मेहनत और बौिद्धक सामथ्यॆ के बल पर िबहािरयों ने पूरी दुिनया में, हर फील्ड में अपना झंडा गाड़ा है। िबहार तो राष्ट्रीय गवॆ के प्रतीक ितरंगे की भी हृदयस्थली में िवराजमान है। िबहार भूख, िपछड़ापन, िहंसा और भ्रष्टाचार से पिरभािषत नहीं होता, यह अपनी अकूत बौिद्धक संपदा के बल पर सामथ्यॆवान है।
िपछले िदनों गोवा के एक िमिनस्टर ने कहा िक पटना से अगर सीधी ट्रेन गोवा आएगी तो यहां िभखािरयों की संख्या बढ़ जाएगी। यह िकतने िनचले दजेॆ की सोच है। िबहार ने तो दुिनया को धन्य िकया है। एक बानगी देिखएः-
दुिनया को बुद्ध िबहार ने िदया।
दुिनया का पहला गणतंत्र िबहार की देन है।
दुिनया को पहला िवश्विवद्यालय िबहार ने िदया है।
दुिनया को महावीर िबहार ने िदया है।
वाल्मीिक ने रामायण की रचना इसी धरती पर की।
सबसे बड़े सम्राट अशोक का धरती होने का गौरव भी िबहार के िहस्से है।
गिणत के महान िवद्वान आयॆभट्ठ को भी यहीं की माटी ने तैयार िकया।
राष्ट्रीय झंडे में अंिकत अशोक चक्र भी िबहार से ही आया है।
दुिनया में इकोनािमक्स के पहले ग्रंथ की रचना कौिटल्य ने यहीं की।
देश को पहला राष्ट्रपित इसी प्रदेश ने िदया।
मयाॆदा पुरूषोत्तम राम की पत्नी सीता माता की भी यही धरती है।
राष्ट्रकिव िदनकर िबहार की माटी में ही पले-बढ़े
आपातकाल के िखलाफ स्वर बुलंद करने वाले जयप्रकाश नारायण भी यहीं के थे।
उपरोक्त बातें राष्ट्रीय गवॆ और सम्मान की हैं। ये संपदाएं पूरे देश की हैं, िसफॆ िबहार की नहीं। िबहार तो महान परंपराओं का प्रदेश है। तात्पयॆ यह िक िबहार की पिरभाषा मािफया से तो कतई नहीं है। यह भी सच है िक महाराष्ट्र भी बाल ठाकरे या राज ठाकरे से पिरभािषत नहीं होगा। इसे अपनी जािगर समझने की भूल न करें। राज ठाकरे के गुंडों ने जो शुरूआत की है वह ठीक नहीं है। वक्त उनसे इसका िहसाब जरूर लेगाा।
Thursday, 30 October 2008
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9 comments:
इन सब बातो को राज ठाकरे जैसे लोग नही समझते .सिर्फ़ कानून को कडाई से पालन करने की जरुरत है.साड़ी हेकडी हवा हो जायेगी .....
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
अपने लेख को अलग अलग पैराग्राफ में बांट कर लिखें व अक्षरों का आकार बढ़ा दें।
अभी पढ़ने में असुविधा होती है।
स्वागतम
आपका सजग लेखन समाज के लिए उपयोगी हो
वेरिफिकेशन हटाएँ
सही कहा आपने |
वाकई इस फिल्म में नशीरुद्दीन शाह के अंतिम दस मिनट के डॉयलाग लोगों को और हमारे समाज को बदल सकने की हैसियत रखते है। मगर इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारे नपुंसक नेता इसे नहीं होने देंगे।
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटाए और अक्षरों का आकार बड़ा करें। पढ़ने में दिक्कत आती है।
आपके ब्लॉग का भ्रमण सुखदाई रहा. ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. उम्मीद है निरंतर लिखते रहेंगे व दूसरों को भी मार्गदर्शित करेंगे.
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मेरे ब्लॉग पर आप सदर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
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अमित के. सागर
par ye raj ki samaj me kaise aaye?
koi kisi ka nahi hai, mumbai kee to bat alag hai
narayan narayan
यह ठाकरे जैसे लोग महाराष्ट्र की जनता की भावनाओं की तिजारत करते हैं एक निवेदन हटा दो यह बाधा शब्द पुष्टिकरण की .. मेरे ब्लॉग पर दस्तक दीजिये अच्छा लगे तो टीका भी अवश्य करें
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