Sunday, 11 January 2009
वक्त
िजनकी िकलकािरयों में कभी शब्द ढूंढा करते थे,
आजकल उनके हंसने की वजह बन गए हैं हम।
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rajesh ranjan
तेरह सालों से खबरों की दुनिया में हूं। अपने वजूद की तलाश जारी है। अनवरत...
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