Saturday, 3 January 2009

मोड़

वह आज भी िमली थी उसी मोड़ पर,
उस मोड़ पर ही उसने दुिनया बसा ली है।

2 comments:

bijnior district said...

बहुत बढि़या पंक्तियां। बधाई

Unknown said...

देखकर आईना भी गुमां हैं उन्हें अपने बेदाग होने का
...बदल जाते हैं क्या आईने भी सूरत के साथ?