Thursday, 15 January 2009

आदत

वो कहती है कभी नहीं देखूंगी अब तेरा चेहरा,
िछप-िछपकर देखने की आदत जो रही है।

4 comments:

manvinder bhimber said...

हाय ....क्या बात है ......बहुत सुंदर

Udan Tashtari said...

ओह्ह!!! क्या कहने!!

रंजन राजन said...

....क्या बात है ......
अब तो सुधर जाओ पाजी।
..................
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सुप्रतिम बनर्जी said...

बहुत अच्छे...